Monday, January 27, 2014

SANSHKRIT

संस्कृत के बारे में आज की पीढ़ी के लिए आश्चर्यजनक तथ्य -------------
1. कंप्यूटर में इस्तेमाल के लिए सबसे अच्छी भाषा।
संदर्भ: फोर्ब्स पत्रिका 1987

2.
सबसे अच्छे प्रकार का कैलेंडर जो इस्तेमाल किया जा रहा है, हिंदू कैलेंडर है (जिसमें नया साल सौर प्रणाली के भूवैज्ञानिक परिवर्तन के साथ शुरू होता है)
संदर्भ: जर्मन स्टेट यूनिवर्सिटी

3.
दवा के लिए सबसे उपयोगी भाषा अर्थात संस्कृत में बात करने से व्यक्ति स्वस्थ और बीपी, मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल आदि जैसे रोग से मुक्त हो जाएगा। संस्कृत में बात करने से मानव शरीर का तंत्रिका तंत्र सक्रिय रहता है जिससे कि व्यक्ति का शरीर सकारात्मक आवेश(Positive Charges) के साथ सक्रिय हो जाता है।
संदर्भ: अमेरीकन हिन्दू यूनिवर्सिटी (शोध के बाद)

4.
संस्कृत वह भाषा है जो अपनी पुस्तकों वेद, उपनिषदों, श्रुति, स्मृति, पुराणों, महाभारत, रामायण आदि में सबसे उन्नत प्रौद्योगिकी(Technology) रखती है।
संदर्भ: रशियन स्टेट यूनिवर्सिटी, नासा आदि

(
नासा के पास 60,000 ताड़ के पत्ते की पांडुलिपियों है जो वे अध्ययन का उपयोग कर रहे हैं)
(
असत्यापित रिपोर्ट का कहना है कि रूसी, जर्मन, जापानी, अमेरिकी सक्रिय रूप से हमारी पवित्र पुस्तकों से नई चीजों पर शोध कर रहे हैं और उन्हें वापस दुनिया के सामने अपने नाम से रख रहे हैं। दुनिया के 17 देशों में एक या अधिक संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत के बारे में अध्ययन और नई प्रौद्योगिकी प्राप्तकरने के लिए है, लेकिन संस्कृत को समर्पित उसके वास्तविक अध्ययन के लिए एक भी संस्कृत विश्वविद्यालय इंडिया (भारत) में नहीं है।

5.
दुनिया की सभी भाषाओं की माँ संस्कृत है। सभी भाषाएँ (97%) प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस भाषा से प्रभावित है।
संदर्भ: यूएनओ

6.
नासा वैज्ञानिक द्वारा एक रिपोर्ट है कि अमेरिका 6 और 7 वीं पीढ़ी के सुपर कंप्यूटर संस्कृत भाषा पर आधारित बना रहा है जिससे सुपर कंप्यूटर अपनी अधिकतम सीमा तक उपयोग किया जा सके।
परियोजना की समय सीमा 2025 (6 पीढ़ी के लिए) और 2034 (7 वीं पीढ़ी के लिए) है, इसके बाद दुनिया भर में संस्कृत सीखने के लिए एक भाषा क्रांति होगी।

7.
दुनिया में अनुवाद के उद्देश्य के लिए उपलब्ध सबसे अच्छी भाषा संस्कृत है।
संदर्भ: फोर्ब्स पत्रिका 1985

8.
संस्कृत भाषा वर्तमान में "उन्नत किर्लियन फोटोग्राफी" तकनीक में इस्तेमाल की जा रही है। (वर्तमान में, उन्नत किर्लियन फोटोग्राफी तकनीक सिर्फ रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका में ही मौजूद हैं। भारत के पास आज "सरल किर्लियन फोटोग्राफी" भी नहीं है )

9.
अमेरिका, रूस, स्वीडन, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान और ऑस्ट्रिया वर्तमान में भरतनाट्यम और नटराज के महत्व के बारे में शोध कर रहे हैं। (नटराज शिव जी का कॉस्मिक नृत्य है। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के सामने शिव या नटराज की एक मूर्ति है )

10.
ब्रिटेन वर्तमान में हमारे श्री चक्र पर आधारित एक रक्षा प्रणाली पर शोध कर रहा है।
लेकिन यहाँ यह बात अवश्य सोचने की है,की आज जहाँ पूरे विश्व में संस्कृत पर शोध चल रहे हैं,रिसर्च हो रहीं हैं वहीँ हमारे देश के लुच्चे नेता संस्कृत को मृत भाषा बताने में बाज नहीं रहे हैं अभी वर्ष पहले हमारा एक केन्द्रीय मंत्री बी. एच .यू . में गया था तब उसने वहां पर संस्कृत को मृत भाषा बताया था. यह बात कहकर वह अपनी माँ को गाली दे गया, और ये वही लोग हैं जो भारत की संस्कृति को समाप्त करने के लिए यहाँ की जनता पर अंग्रेजी और उर्दू को जबरदस्ती थोप रहे हैं.
संस्कृत को सिर्फ धर्म-कर्म की भाषा नहीं समझना चाहिए-यह लौकिक प्रयोजनों की भी भाषा है. संस्कृत में अद्भुत कविताएं लिखी गई हैं, चिकित्सा, गणित, ज्योतिर्विज्ञान, व्याकरण, दशर्न आदि की महत्वपूर्ण पुस्तकें उपलब्ध हैं. केवल आध्यात्मिक चिंतन ही नहीं है, बल्कि दाशर्निक ग्रंथ भी उपलब्ध हैं,किन्तु रामायण,और गीता की भाषा को आज भारत में केवल हंसी मजाक की भाषा बनाकर रख दिया गया है,भारतीय फिल्मे हों या टी.वी. प्रोग्राम ,उनमे जोकरों को संस्कृत के ऐसे ऐसे शब्द बनाकर लोगों को हँसाने की कोशिश की जाती है जो संस्कृत के होते ही नहीं हैं, और हमारी नई पीढी जिसे संस्कृत से लगातार दूर किया जा रहा है,वो संस्कृत की महिमा को जाने बिना ही उन कॉमेडी सीनों पर दात दिखाती है.
अमेरिका, रूस, स्वीडन, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान और ऑस्ट्रिया जैसे देशों में नर्सरी से ही बच्चों को संस्कृत पढ़ाई जाने लगी है, कहीं एसा हो की हमारी संस्कृत कल वैश्विक भाषा बन जाये और हमारे नवयुवक संस्कृत को केवल भोंडे और भद्दे मसखरों के भाषा समझते रहें. अपने इस लेख से मै भारत के यूवाओं को आह्वान करता हूँ की आने वाले समय में संस्कृत कम्पुटर की भाषा बन्ने जा रही है ,सन २०२५ तक नासा ने संस्कृत में कार्य करने का लक्ष्य रखा है. अतः अंग्रेजी भाषा के साथ साथ वे अपने बच्चों को संस्कृत का ज्ञान जरूर दिलाएं ,और संस्कृत भाषा को भारत में उपहास का कारन बनाये ,क्यों की संस्कृत हमारी देव भाषा है ,संस्कृत का उपहास करके हम अपनी जननी का उपहास करते हैं.


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