छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में सांप्रदायिक सौहार्द का एख अनूठा उदाहरण देखने को मिलता है. यहां जलाउद्दीन बगदाद वाले बाबा की मज़ार है जिसकी पूरी देख-रेख यहां के लिए बनी हिन्दुओं की समिति करती है. पिनकापार गांव में एकमात्र मुस्लिम परिवार रहता है और वह भी हिन्दुओं की इस धार्मिक आस्था से प्रसन्न है. गांव में बनी मज़ार की पिछले 100 वर्ष से यहां के हिन्दू पूरी शिद्दत से देखभाल करते आ रहे हैं, और उन्होंने इसके लिए कमेटी बनाई है, जो मज़ार को सुरक्षित रखने के लिए पहले अस्थाई शेड बनाना चाहती है, इसलिए गांववालों से धन संग्रह किया जा रहा है. यहां की आबादी करीब 450 परिवारों की है, जिसमें मुस्लिम परिवार सिर्फ एक है. शुरुआत में परकोटे का निर्माण दाऊ शशि देशमुख ने कराया और प्रत्येक शुक्रवार को 20 से अधिक हिन्दू परिवार मज़ार पर अगरबत्ती व धूप से इबादत करते हैं. बुजुर्गों का कहना है कि वर्ष 1890 में यहां करीब 70 मुस्लिम परिवार रहते थे, लेकिन अब सिर्फ एक ही सत्तार खां का परिवार रहता है. बताया गया कि एक दशक पहले हिंदुओं के सहयोग से महबूब खां ताजिया निकाला करते थे और जब से उनकी मृत्यु हुई, ताजिया निकलने बंद हो गए हैं.पिनकापार से करीब 12 किलोमीटर दूर ग्राम जेवरतला है. यहां के निवासी धनराज ढोबरे (मराठा) पिछले 26 साल से प्रत्येक शुक्रवार इस मज़ार पर आ रहे हैं. ढोबरे कहते हैं कि यहां आने पर उन्हें सुकून मिलता है. इसी तरह से 20 साल से इतवारी रजक भी मज़ार पर आ रहे हैं. रजक ने अपने होटल में मज़ार के विस्तार के लिए दानपात्र रखा है. अब तो यहां आसपास के गांवों से भी हिन्दू इबादत के लिए पहुंचने लगे हैं. - See more at: http://www.chauthiduniya.com
Monday, April 14, 2014
मज़ार की देखभाल हिंदू करते हैं
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में सांप्रदायिक सौहार्द का एख अनूठा उदाहरण देखने को मिलता है. यहां जलाउद्दीन बगदाद वाले बाबा की मज़ार है जिसकी पूरी देख-रेख यहां के लिए बनी हिन्दुओं की समिति करती है. पिनकापार गांव में एकमात्र मुस्लिम परिवार रहता है और वह भी हिन्दुओं की इस धार्मिक आस्था से प्रसन्न है. गांव में बनी मज़ार की पिछले 100 वर्ष से यहां के हिन्दू पूरी शिद्दत से देखभाल करते आ रहे हैं, और उन्होंने इसके लिए कमेटी बनाई है, जो मज़ार को सुरक्षित रखने के लिए पहले अस्थाई शेड बनाना चाहती है, इसलिए गांववालों से धन संग्रह किया जा रहा है. यहां की आबादी करीब 450 परिवारों की है, जिसमें मुस्लिम परिवार सिर्फ एक है. शुरुआत में परकोटे का निर्माण दाऊ शशि देशमुख ने कराया और प्रत्येक शुक्रवार को 20 से अधिक हिन्दू परिवार मज़ार पर अगरबत्ती व धूप से इबादत करते हैं. बुजुर्गों का कहना है कि वर्ष 1890 में यहां करीब 70 मुस्लिम परिवार रहते थे, लेकिन अब सिर्फ एक ही सत्तार खां का परिवार रहता है. बताया गया कि एक दशक पहले हिंदुओं के सहयोग से महबूब खां ताजिया निकाला करते थे और जब से उनकी मृत्यु हुई, ताजिया निकलने बंद हो गए हैं.पिनकापार से करीब 12 किलोमीटर दूर ग्राम जेवरतला है. यहां के निवासी धनराज ढोबरे (मराठा) पिछले 26 साल से प्रत्येक शुक्रवार इस मज़ार पर आ रहे हैं. ढोबरे कहते हैं कि यहां आने पर उन्हें सुकून मिलता है. इसी तरह से 20 साल से इतवारी रजक भी मज़ार पर आ रहे हैं. रजक ने अपने होटल में मज़ार के विस्तार के लिए दानपात्र रखा है. अब तो यहां आसपास के गांवों से भी हिन्दू इबादत के लिए पहुंचने लगे हैं. - See more at: http://www.chauthiduniya.com
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